जन्मकुंडली के अनुसार शिक्षा
सम्बन्धी परामर्श
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी जातक की शिक्षा का आकलन करने के लिए
कुंडली में निम्न तत्वों का अध्ययन करना चाहिये
शिक्षा से जुड़े भाव
कुंडली के दुसरे, चोथे और पांचवे भाव को जातक की शिक्षा से सम्बंधित
माना जाता है | इनमे दूसरा भाव कुटुम्ब स्थान होता है इसलिए यह भाव जातक को परिवार
से प्राप्त होने वाली शिक्षा का निर्धारण करता है दुसरे भाव से ही जातक के
पारिवारिक संस्कारो का बोध होता है चोथा भाव सुख स्थान होता है और हम सब जानते है
कि व्यक्ति के बचपन के दिन उसके जीवन के सबसे अधिक सुख के दिन होते है इसलिए चोथा
भाव उस शिक्षा को व्यक्त करता है जो जातक अपने बचपन में (क्लास 1 से क्लास 10 )
प्राप्त करता है कुंडली का पंचम भाव उस शिक्षा को व्यक्त करता है जो जातक की
आजीविका (नौकरी, व्यवसाय ) के लिए उपयोगी हो |
शिक्षा प्रदान करने वाले ग्रह
बुद्धि और ज्ञान के कारक क्रमश: बुध और गुरु कहे गए है | अच्छी शिक्षा
वास्तव में बुद्धि और ज्ञान का संगम है | इसलिए जन्मकुंडली में इन दोनों ग्रहों का
बलशाली होना, जातक की अच्छी शिक्षा का परिचायक होता है |
शिक्षा को बल प्रदान करने वाले योग
जन्मकुंडली में निम्न योगो की उपस्थिति जातक की शिक्षा को बल प्रदान
करती है
1.
बुध-आदित्य
योग
2.
शंख योग
3.
सरस्वती
योग
4.
गुरु-शुक्र
योग
5.
मंगल-गुरु
योग
दशा तथा गोचर
कई बार देखने में आता है कि बहुत अच्छे योग होने के बाद भी जातक को
उसके उतने अच्छे परिणाम नहीं मिल पाते जितने मिलने चाहिए थे | इसका मुख्य कारण
उचित आयु में उचित दशा और गोचर का ना होना होता है | अत: कुंडली का अवलोकन करते
समय यह जरुर देख लेना चाहिए कि जातक इतना भाग्यशाली जरुर हो कि उचित आयु आने पर
जातक की कुंडली में उपलब्ध योगो को उचित दशा और गोचर की सहायता से फलने –फूलने का
अवसर प्राप्त हो | शिक्षा के लिए लग्नेश, चतुर्थेश, पंचमेश, नवमेश और दशमेश की दशा
उत्तम मानी गयी है |
No comments:
Post a Comment