Thursday, September 15, 2016

अष्टकूट मिलान में नाड़ी का महत्व

अष्टकूट मिलान में नाड़ी का महत्व

नाडिया तीन मानी गई है
1 – आदि
2 – मध्य
3 – अन्त्य

आदि नाड़ी वाला व्यक्ति वायु तत्व की प्रधानता वाला होता है और उसमे चंचलता का गुण पाया जाता है | मध्य नाड़ी वाला व्यक्ति पित्त प्रधान होता है और उसके स्वाभाव में उष्णता पाई जाती है | जबकि अन्त्य नाड़ी वाला व्यक्ति कफ प्रधान होता है और उसमे शीतलता का गुण पाया जाता है |

नाड़ी को गुण मिलान में सर्वाधिक 8 अंक दिए गए है | गुण मिलान में वर – वधु की नाडिया भिन्न होनी चाहिये | एक समान नाडिया होने पर विवाह नहीं करना चाहिए | यदि कुंडली मिलान में नाड़ी दोष (वर-वधु की नाड़ी का समान होना ) हो तो भावी दम्पति को शारीरिक सम्बन्ध बनाने और संतान उत्पन करने में दिक्कत हो सकती है | 


समान नाड़ी मिलान लगभग उसी तरह होता है जैसे चुम्बक के दो समान ध्रुव एक – दुसरे को प्रतिकर्षित करते है इस प्रकार समान नाड़ी होने पर वर-वधु एक दुसरे से दूर-दूर रहना अधिक पसंद करते है | इसलिए यदि अष्टकूट मिलान करते समय 28 गुण मिलने पर भी यदि नाड़ी दोष पाया जाये तो बुद्धिमान ज्योतिषी को जातक को विवाह करने की सलाह नहीं देनी चाहिए, जब तक नाड़ी दोष का परिहार ना हो जाये |

नाड़ी दोष का परिहार

1 – यदि वर – कन्या दोनों की राशी एक हो परन्तु नक्षत्र भिन्न हो तो नाड़ी दोष का परिहार माना जाता है |

2 – यदि वर – कन्या दोनों की राशी भिन्न हो परन्तु नक्षत्र समान हो तो नाड़ी दोष का परिहार माना जाता है |

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