Sunday, March 27, 2016

निशुल्क कुंडली विवेचना

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घर से भाग कर शादी करने का योग

किसी जातक या जातिका के घर से भाग कर अर्थात माता पिता की मर्जी के बिना शादी करने के निम्न योग होते है
  1. जब कुंडली के छठे, सातवे और आठवे तीनो घरो में पापी ग्रह होते है
  2. चतुर्थ स्थान या चतुर्थेश पर किसी प्रथक्तावादी ग्रहों ( सूर्य, शनि, राहू ) का प्रभाव हो तो जातक घर से भाग कर शादी करता है

उदाहरण

यह एक ग्रेजुएट जातक की कुंडली है जिस ने घर से भाग कर अन्य जाति के व्यक्ति के साथ शादी की है | कुंडली में छठे भाव में पापी मंगल, सातवे भाव में पापी शनि और आठवे भाव में पापी राहु उपस्थित है | इसके अलावा चतुर्थ भाव पर शनि की दशम और राहु की नवम दृष्टि है

Saturday, March 26, 2016

केमदरुम दोष

चन्द्रमा से बनने वाला ये दोष अपने आप में एक बहुत बुरा दोष है यदि चंद्रमा से दुसरे और बारहवे दोनों स्थानों में कोई ग्रह नही हो तो केमद्रुम नामक दोष बनता है या फिर आप इसे इस प्रकार समझे चन्द्रमा कुंडली के जिस भी घर में हो, उसके आगे और पीछे के घर में कोई ग्रह न हो। इसके अलावा चन्द्रमा की किसी ग्रह से युति न हो या चंद्र को कोई शुभ ग्रह न देखता हो तो कुण्डली में केमद्रुम दोष बनता है। केमद्रुम दोष के संदर्भ में छाया ग्रह राहु केतु की गणना नहीं की जाती है। जिस भी जातक कुण्डली में यह दोष बनता हो उसे सजग हो जाना चाइये।
इस दोष में उत्पन्न हुआ व्यक्ति जीवन में कभी न कभी किसी न किस पड़ाव पर दरिद्रता एवं संघर्ष से ग्रस्त होता है। संसार में ऐसे कई व्यक्ति हुए है जिन्होंने बड़ी मेहनत करके पैसा कमाया लेकिन कुछ एक सालो बाद सब बर्बाद हो गया, तो यह इसी दोष कार्य का है। जीवन में सब कुछ वापिस ले लेना और फिर शून्य स्थिति में लाना भी इसी दोष का कार्य है। 
इसके साथ ही साथ ऐसे व्यक्ति अशिक्षित या कम पढा लिखे , निर्धन एवं मूर्ख भी हो सकते है। यह भी कहा जाता है कि केमदुम योग वाला व्यक्ति वैवाहिक जीवन और संतान पक्ष का उचित सुख नहीं प्राप्त कर पाता है। वह सामान्यत: घर से दूर ही रहता है। व्यर्थ बात करने वाला होता है कभी कभी उसके स्वभाव में नीचता का भाव भी देखा जा सकता है। 
केमद्रुम योग की शांति के उपाय

  1. सोमवार को पूर्णिमा के दिन अथवा सोमवार को चित्रा नक्षत्र के समय से लगातार चार वर्ष तक पूर्णिमा का व्रत रखें.
  2. सोमवार के दिन भगवान शिव के मंदिर जाकर शिवलिंग पर गाय का कच्चा दूध चढ़ाएं व पूजा करें.  भगवान शिव ओर माता पार्वती का पूजन करें. रूद्राक्ष की माला से शिवपंचाक्षरी मंत्र " ऊँ नम: शिवाय" का जप करें ऎसा करने से  केमद्रुम योग के अशुभ फलों में कमी आएगी.  
  3. घर में दक्षिणावर्ती शंख स्थापित करके नियमित रुप से श्रीसूक्त का पाठ करें.  दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर उस जल से देवी लक्ष्मी की मूर्ति को स्नान कराएं तथा चांदी के श्रीयंत्र में मोती धारण करके उसे सदैव अपने पास रखें  या धारण करें.

Tuesday, March 22, 2016

कालसर्प योग

जब सभी ग्रह राहू और केतु के घेरे में होते है तो कालसर्प योग बन जाता है इस योग में सभी ग्रह राहू और केतु के बंधन में केद माने जाते है तथा ऐसा माना जाता है कि यह योग कुंडली में उपस्थित सभी उत्तम योगो को समाप्त  कर देता है जिस जातक की कुंडली में यह योग होता है उसके जीवन में सदा उदासीनता बनी रहती है और धनी व्यक्ति भी समय के फेर में आकर निर्धन बन जाता है कालसर्प योग से पीड़ित व्यक्ति के जीवन में एक महत्वपूर्ण चीज की कमी रह जाती है यह जातक के स्वास्थ्य, धन, सम्मान, संतान, पत्नी सुख, माता-पिता के सुख में कमी में से कोई भी एक हो सकती है  जिनकी कुंडली में यह दोष होता है उनके खानदान में कम उम्र में मृत्यु और अकाल मृत्यु देखी गई है | पुश्तेनी सम्पति या तो नष्ट हो जाती है या कम प्राप्त हो पाती है | भरपूर शिक्षा लेकर भी उसका उपयोग नहीं हो पता | संतान से दुःख मिलता है और संतान निकम्मी या चरित्रहीन होती है |

ज्योतिष में १२ प्रकार का कालसर्प योग पाया जाता है जो इस प्रकार है
योग का नाम
राहु और केतु की कुंडली में स्थान
प्रभाव
अनन्त
राहु 1, केतु 7  
नास्तिकता, गले और मुह के रोग, पत्नी सुख में कमी
कुलिक
राहु 2, केतु 8
विद्या, धन व परिवार से परेशानी
वासुकी
राहु 3, केतु 9
दोस्त, भाई और मित्र के सुख में कमी
शंखपाल
राहु 4, केतु 10
माता-पिता, सास-ससुर के सुख में कमी, शरीर में विषेले घाव, दुखी और चिडचिडा
पदम्
राहु 5, केतु 11
संतान के सुख में कमी, विचारो में गड़बड़ी, अपयश
महापदम
राहु 6, केतु 12
हर काम में रुकावट, झूठे इल्जाम
कर्कोटक
राहु 7, केतु 1
उदरशूल, जननेन्द्रियो के रोग
तक्षक
राहु 8, केतु 2
आयु के कष्टकारक, अकाल मृत्यु का भय, मित्रो का अभाव
शंखनाद
राहु 9, केतु 3
भाग्य में रुकावट और धोखा
घातक
राहु 10, केतु 4
आजीविका में बाधाएं, हृदय और श्वास के रोग
विषाक्त
राहु 11, केतु 5
पेट दर्द, संतान की चिंता, लम्बी अवधि वाले रोग
शेषनाग
राहु 12, केतु 6
फिजूल के खर्च, कम नींद, सनकीपन

उपाय
  1. रांगे के 108 सर्प बनवाकर अमावस्या के दिन नदी के किनारे बैठकर एक एक सर्प हाथ में लेकर राहु मन्त्र का जाप करके जल प्रवाह करे |
  2. अमावस्या के दिन कांसे की थाली में देशी घी का हलवा बनाकर डाले और बीच में थोड़ी खाली जगह बनाकर उसमे देशी घी गरम करके डाले | फिर उस घी में दो चांदी (सोने का पानी चढ़ा हुआ हो ) के सर्प डाल दे | घी में अपनी छाया देखकर, थाली सहित तेज बहते पानी में प्रवाहित करदे |
  3. रोज रात को सोने से पहले और सोकर उठने के बाद, अपने सिर के ऊपर से मोर पंख कम से कम 5 बार ॐ नम: शिवाय का मन्त्र बोल कर घुमाये |



Friday, March 18, 2016

प्रेम विवाह के योग

जातक की जन्मकुंडली में पंचम भाव प्रेमी (प्रेमिका) को दर्शाता है और सप्तम भाव पति (पत्नी) को दर्शाता है | इसलिए अगर जन्मकुण्डली में निम्न योग पाए जाये तो जातक के प्रेम विवाह की सम्भावना होती है
  1. लग्नेश और पंचमेश का आपस में युति करना या एक दुसरे से दृष्टि सम्बन्ध बनाना, प्रेम विवाह को दर्शाता है
उदाहरण : इस कुंडली में लग्नेश (चन्द्र) और पंचमेश (मंगल) एक साथ पंचम भाव में युति कर रहे है इसलिए इस जातक ने प्रेम विवाह किया |


  1. पंचमेश और सप्तमेश का आपस में युति करना या दृष्टि सम्बन्ध बनाना भी प्रेम विवाह का योग बनाता है | यदि इनका राशि परिवर्तन हो तो भी प्रेम विवाह की सम्भावना बनती है |
उदाहरण : इस कुंडली पंचमेश (शनि) और सप्तमेश (गुरु) का राशि परिवर्तन योग प्रेम विवाह को दर्शाता है

  1. लग्नेश और सप्तमेश का पंचम भाव या एकादश भाव में बनने वाला योग भी प्रेम विवाह को दर्शाता है | यदि ये योग केन्द्र या त्रिकोण में बने तो भी प्रेम विवाह का योग बनता है |
  2. यदि पंचमेश और लाभेश ( एकादश भाव का स्वामी ) का योग लग्न में बने तो भी प्रेम विवाह की सम्भावना बनती है |

Thursday, March 17, 2016

गुरु छठे भाव का प्रभाव तथा उपाय

गुरु को छठे घर में बहुत ख़राब माना है | यदि गुरु इस घर में होगा तो जातक को मानसिक संताप देगा परन्तु जातक को डूबने नहीं देता बल्कि किसी अन्य की सहायता से उसे डूबने के बचा लेता है | जातक का ननिहाल आमतोर पर कमजोर ही रहता है | उसकी बहिन, बुआ, मोसी के लिए भी प्रभाव नीच ही होता है | जातक आलसी और वहमी हो सकता है | उसे काम करने की आदत नहीं रहती | इस घर में आकर गुरु अपना स्वाभाव बदल लेता है जिस कारण जातक धर्म-कर्म को भूल जाता है | यदि इस घर में उपस्थित गुरु पर बुध की दृष्टि पड़ रही हो तो १६ से २१ वर्ष की आयु में जातक के पिता के लिए समय ठीक नहीं रहता | या तो उसे बीमारी लग जाती है या उसका धन नष्ट हो जाता है | ऐसा जातक कफ, फेफड़े, पेट में फोड़ा, गुर्दे का रोग तथा पीलिया रोग से ग्रसित हो सकता है |
उपाय : ६ किलो या ६०० ग्राम दाल-चना ६ दिन निरंतर या ६ वीरवर धर्म स्थान में देवे |

जन्मकुण्डली का छठा भाव

ज्योतिष ने छठे घर को बीमारी, क़र्ज़, शत्रु, अधीनता, पराधीनता इत्यादि का माना है | लाल किताब के अनुसार इस घर का मालिक बुध और कारक केतु होता है तथा यह घर पाताल होता है | क्योकि लाल किताब के अनुसार केतु हमारे पैर का प्रतिनिधित्व करता है और राक्षसों का निवास स्थान पाताल होता है इसलिए इस घर में राहु उच्च का हो जाता है | अब राहु को छठे घर में लाने के लिए क्या उपाय किया जाये |
उपाय : राहु को छठे घर में लाने के लिए चार किलो सिक्का (लेड) कुए में गिराये |


Wednesday, March 16, 2016

त्रिक भावो का मानव जीवन पर दुष्प्रभाव

जन्मकुण्डली के किसी भी घर में बैठे ग्रह का अच्छा या बुरा प्रभाव मानव जीवन पर अवश्य पड़ता है, परन्तु त्रिक भावो अर्थात छठे, आठवे और बारहवे घर में बैठे ग्रह तो मानव जीवन पर बहुत ही अधिक प्रभाव डालते है और इनका प्रभाव ऋणात्मक अधिक होता है और मानव के जीवन में अचानक ऐसी घटनाये घटित करवा देते है जिन्हें मानव केवल मूकदर्शक बनकर देखता ही रह जाता है |