जातक की जन्मकुंडली में पंचम भाव प्रेमी
(प्रेमिका) को दर्शाता है और सप्तम भाव पति (पत्नी) को दर्शाता है | इसलिए अगर
जन्मकुण्डली में निम्न योग पाए जाये तो जातक के प्रेम विवाह की सम्भावना होती है –
- लग्नेश और पंचमेश का आपस में युति करना या एक दुसरे से
दृष्टि सम्बन्ध बनाना, प्रेम विवाह को दर्शाता है
उदाहरण : इस कुंडली में लग्नेश (चन्द्र)
और पंचमेश (मंगल) एक साथ पंचम भाव में युति कर रहे है इसलिए इस जातक ने प्रेम
विवाह किया |
- पंचमेश और सप्तमेश का आपस में युति करना या दृष्टि
सम्बन्ध बनाना भी प्रेम विवाह का योग बनाता है | यदि इनका राशि परिवर्तन हो
तो भी प्रेम विवाह की सम्भावना बनती है |
उदाहरण : इस कुंडली पंचमेश (शनि) और
सप्तमेश (गुरु) का राशि परिवर्तन योग प्रेम विवाह को दर्शाता है
- लग्नेश और सप्तमेश का पंचम भाव या एकादश भाव में बनने
वाला योग भी प्रेम विवाह को दर्शाता है | यदि ये योग केन्द्र या त्रिकोण में
बने तो भी प्रेम विवाह का योग बनता है |
- यदि पंचमेश और लाभेश ( एकादश भाव का स्वामी ) का योग
लग्न में बने तो भी प्रेम विवाह की सम्भावना बनती है |
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