Tuesday, March 22, 2016

कालसर्प योग

जब सभी ग्रह राहू और केतु के घेरे में होते है तो कालसर्प योग बन जाता है इस योग में सभी ग्रह राहू और केतु के बंधन में केद माने जाते है तथा ऐसा माना जाता है कि यह योग कुंडली में उपस्थित सभी उत्तम योगो को समाप्त  कर देता है जिस जातक की कुंडली में यह योग होता है उसके जीवन में सदा उदासीनता बनी रहती है और धनी व्यक्ति भी समय के फेर में आकर निर्धन बन जाता है कालसर्प योग से पीड़ित व्यक्ति के जीवन में एक महत्वपूर्ण चीज की कमी रह जाती है यह जातक के स्वास्थ्य, धन, सम्मान, संतान, पत्नी सुख, माता-पिता के सुख में कमी में से कोई भी एक हो सकती है  जिनकी कुंडली में यह दोष होता है उनके खानदान में कम उम्र में मृत्यु और अकाल मृत्यु देखी गई है | पुश्तेनी सम्पति या तो नष्ट हो जाती है या कम प्राप्त हो पाती है | भरपूर शिक्षा लेकर भी उसका उपयोग नहीं हो पता | संतान से दुःख मिलता है और संतान निकम्मी या चरित्रहीन होती है |

ज्योतिष में १२ प्रकार का कालसर्प योग पाया जाता है जो इस प्रकार है
योग का नाम
राहु और केतु की कुंडली में स्थान
प्रभाव
अनन्त
राहु 1, केतु 7  
नास्तिकता, गले और मुह के रोग, पत्नी सुख में कमी
कुलिक
राहु 2, केतु 8
विद्या, धन व परिवार से परेशानी
वासुकी
राहु 3, केतु 9
दोस्त, भाई और मित्र के सुख में कमी
शंखपाल
राहु 4, केतु 10
माता-पिता, सास-ससुर के सुख में कमी, शरीर में विषेले घाव, दुखी और चिडचिडा
पदम्
राहु 5, केतु 11
संतान के सुख में कमी, विचारो में गड़बड़ी, अपयश
महापदम
राहु 6, केतु 12
हर काम में रुकावट, झूठे इल्जाम
कर्कोटक
राहु 7, केतु 1
उदरशूल, जननेन्द्रियो के रोग
तक्षक
राहु 8, केतु 2
आयु के कष्टकारक, अकाल मृत्यु का भय, मित्रो का अभाव
शंखनाद
राहु 9, केतु 3
भाग्य में रुकावट और धोखा
घातक
राहु 10, केतु 4
आजीविका में बाधाएं, हृदय और श्वास के रोग
विषाक्त
राहु 11, केतु 5
पेट दर्द, संतान की चिंता, लम्बी अवधि वाले रोग
शेषनाग
राहु 12, केतु 6
फिजूल के खर्च, कम नींद, सनकीपन

उपाय
  1. रांगे के 108 सर्प बनवाकर अमावस्या के दिन नदी के किनारे बैठकर एक एक सर्प हाथ में लेकर राहु मन्त्र का जाप करके जल प्रवाह करे |
  2. अमावस्या के दिन कांसे की थाली में देशी घी का हलवा बनाकर डाले और बीच में थोड़ी खाली जगह बनाकर उसमे देशी घी गरम करके डाले | फिर उस घी में दो चांदी (सोने का पानी चढ़ा हुआ हो ) के सर्प डाल दे | घी में अपनी छाया देखकर, थाली सहित तेज बहते पानी में प्रवाहित करदे |
  3. रोज रात को सोने से पहले और सोकर उठने के बाद, अपने सिर के ऊपर से मोर पंख कम से कम 5 बार ॐ नम: शिवाय का मन्त्र बोल कर घुमाये |



No comments:

Post a Comment