जेमिनी सूत्र के
अनुसार जातक की दीर्घायु, मध्यायु, अल्पायु का विचार करने के लिए लग्नेश और
अष्टमेश की जन्मकुंडली में स्थिति का अवलोकन करना चाहिए
दीर्घायु
योग
1. अगर लग्नेश और अष्टमेश दोनों चर राशियों में हो |
2. अगर लग्नेश स्थिर और अष्टमेश द्विस्वभाव राशि में
हो |
3. यदि लग्नेश द्विस्वभाव राशि और अष्टमेश स्थिर
राशि में हो
उपरोक्त
स्थिति में जातक में दीर्घायु होने की सम्भावना होती है |
मध्यायु
योग
1. अगर लग्नेश और अष्टमेश दोनों द्विस्वभाव राशि में
हो |
2. लग्नेश चर और अष्टमेश स्थिर राशि में हो |
3. लग्नेश स्थिर और अष्टमेश चर राशि में हो
उपरोक्त स्थिति में जातक में मध्यायु
होने की सम्भावना होती है |
अल्पायु
योग
1. अगर लग्नेश और अष्टमेश दोनों स्थिर राशि में हो |
2. अगर लग्नेश चर और अष्टमेश द्विस्वभाव राशि में हो
|
3. अगर लग्नेश द्विस्वभाव और अष्टमेश चर राशि में हो
उपरोक्त स्थिति में जातक में अल्पायु होने की सम्भावना
होती है |
नोट : लग्नकुंडली के
साथ – साथ चन्द्रकुंडली से उपरोक्त सूत्रों का अवलोकन करके ही अंतिम निर्णय पर
पहुचना चाहिए |